Monday, January 24, 2011

तुम दिल की धड़कन हो !!!

 श्री राधे श्याम
हे मनमोहन मैं शरण तिहारी
तुम दिल की धड़कन हो !!
तुम्ही मेरे अब जीवन हो !!
पर सुनाई नहीं देते !
क्यों तुम ऐसा करते हो ,
मन को क्यूँ न पकड़ते हो !
साँसों की तुम सरगम हो !!
तुम दिल की धड़कन हो !!
मैं बेचारा-सीधा-सादा,
देखो जग में कैसे फँसा !
मानूँ तुमको अपना प्यारे ,
मोहित जग में होता रहा !
क्यों मैं रोऊँ व्यथा भ्रम में ,
औषधि तुम हर वहम की हो !!
तुम दिल की धड़कन हो !!
रोग मुझे आ घेरते हैं ,
शूल चुभा तंग करते हैं !
काँटों की शैया सा जीवन ,
रोजाना हम मरते हैं !
मेरी पीर बड़ी है गिरधर ,
पीड़ा-हर तुम सक्षम हो !!
तुम दिल की धड़कन हो !!
तीव्र ताप मुझे चढ़े अनेकों ,
शीत-तृष्णा अति भारी ! 
हे गोविन्द ! समझ न पाउँ ,
ऐसी हो गयी लाचारी !
अपने हु मोहे आन पड़े अब ,
समय हो गया बेकारी !
मैं मानूँ इस बिषम काल में ,
एक तुम ही मम मंगल हो !!
तुम दिल की धड़कन हो !!
जब-जब तोहे कोई टेर लगावें ,
तुरतहि तू वाहे पर लगावें !
बिन मांगे तू मन की देवे ,
अपने जन की चूक न देखे !
बिना किसी कारण के कृपा ,
करने में तुम सबके हो !!
तुम दिल की धड़कन हो !!
मैं तो डूबा जाउँ प्रभु जी ,
बेकारी के आलम में !
भंवर फँसा कोई राह न पावै ,
तैरवो हु श्याम मोपे न आवै !
डूबा जाउँ तुलसी के राम ,
मीरा के गिरधर,सूर के श्याम !
हाय बचालो नाथ ओ प्यारे ,
दीनदयाल तू सब को है तारे !
मेरी बेर क्यूँ देर लगी अब ,
तुम कृपालु प्रियतम हो !!
तुम दिल की धड़कन हो !!
सुनलो नाथ में डरयो बहुत अब,
भूल गयो में हेर-फेर सब !
शरण तिहारी कृष्ण मुरारी ,
मैं तेरो-तू मेरो बिहारी !
कृष्ण कन्हैया दाउजी के भैया,
राधा वल्लभ रास रचैया ! 
तुम्ही मेरे धन-बल हो !!
तुम दिल की धड़कन हो !!
तुम्ही मेरे अब जीवन हो !!
 



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