*श्याम-सुन्दर*
श्याम सुन्दर "स्वीटी" बने संग राधे-राधे गाय !! |
स्वीटी राधिका-राधे-राधे=श्याम सुन्दर |
स्वीटी राधिका-राधे-राधे=श्याम सुन्दर |
स्वीटी राधिका-राधे-राधे=श्याम सुन्दर |
स्वीटी राधिका-राधे-राधे=श्याम सुन्दर |
स्वीटी राधिका राधे-राधे |
स्वीटी राधिका-राधे-राधे=श्याम सुन्दर |
स्वीटी राधिका-राधे-राधे=श्याम सुन्दर |
श्याम सुन्दर "स्वीटी" बने संग राधे-राधे गाय !! |
मेरी यारी है बिहारी लाल तोसों श्याम सुन्दर "स्वीटी" बने संग राधे-राधे गाय !! |
श्री राधे-श्याम-राधे |
डूबे जनों के तुम्ही हो खिवैया !
मेरे तो केवल तुम हो कृष्ण कन्हैया !!
राधे-राधे गाऊँ प्यारे लगन लगी है "स्वीटी" कही जब मोसों !!
श्याम सुन्दर "स्वीटी" बने संग राधे-राधे गाय !!श्रीजी कृपा-कटाक्ष सों मिल गए रास-बिहारी !
जग सूनो-सूनो लागिहै श्यामसुन्दर गिरधारी !!
मुरली मधुर कूँ पाइके और श्रवण कूँ काय !
श्रीराधे-राधे रस सुधा मनमोहन रहे बर्षाय !!
अंग-अंग पै लाजि हैं कोटि-कोटि शत काम !
श्री राधावल्लभ दर्शन श्रीजी श्याम के नाम !!
यमुना जल की तरंग में श्री राधे-राधे होय !
रूप माधुरी श्याम की दर्शन नित्य ही होय !!
वृन्दावन ऐसो फलो आनंद चहुँ दिशि आय !
श्रीराधे-राधे मधुर ध्वनि गीत श्याम के गाय !!
नित्य रास सत्संग के निर्झर बिपिन-बिहार !
श्रीजी की कृपा मिले वृन्दावन रस साकार !!
शीतल-मंद-सुगंध-समीर श्री प्रियालाल की कुञ्ज !
हरिदासी-हरिवंश की श्री श्यामा-श्याम उमंग !!
व्यासदास निश्चिन्त हैं श्री प्रियालाल के आस !
भाग्य बड़े "स्वीटी" भये करे श्री वृन्दावन वास !!
श्याम रंग मेरे मन भरे श्री श्यामा रंग में चाम !
गौर-नीलमणि संग सों हरित-ललित द्युति नाम !!
सत्संगहि पाई परम दुर्लभ राशि महान !
सफल भये जीवन मेरे श्री वृन्दावन की छाँव !!
भेंट भई नन्दलाल सों प्रगटे मन मेरे आय !
श्री राधे-राधे गात हूँ श्री राधे-राधे ध्याय !!
श्रीजी मेरी स्वामिनी में श्रीजी की दासि !
श्रीजी को निज नाम धर "स्वीटी" वृन्दावन करे निवास !!
"स्वीटी राधिका" श्याम में मगन व्है श्रीराधे-राधे गाय !
श्याम सुन्दर को संग करि श्रीजी सेवा पाय !!
श्याम कहें "स्वीटी" भये कलि में प्रगटे आय !
जन्मे श्रीजी धाम में गीत श्री राधे गाय !!
उद्धारण कलि में लियो श्री कृष्ण "स्वीटी" अवतार !
भक्तन संग वैठे यहाँ श्री राधा नाम प्रचार !!
मैं जानि "स्वीटी" तोहे क्यूँ गावे श्री राधे गीत !
तू कुञ्ज बिहारी मीत है मैं समझूं प्रीति की रीत!!
नन्द लाला लाली बने नित्य केलि करें अनूप !
"स्वीटी" बन प्रगट भये प्रिया माधुरी रूप !!
धन्य भये हम सब सखी-सखी अनोखी पाय !
श्याम सुन्दर "स्वीटी" बने संग राधे-राधे गाय !!
श्याम सुन्दर "स्वीटी" बने संग राधे-राधे गाय !!
"स्वीटी"कहि गोपाल ने जब मोकों टेरो आय !
श्रीराधे-राधे मैं कहि पड़ी मन मगन श्याम ह्वै गाय !!
मेरी यारी है बिहारी लाल तोसों ! तोसों--यारी है बिहारी लाल तोसों !!
कोई दीवाना कहे कोई कहे पागल !
कोई निठल्ला बोले कोई कहे कायल !!
जग समझे क्या प्रीति हमारी जो तुने की मोसों !!
मेरी यारी है बिहारी लाल तोसों !!
तोसों--यारी है बिहारी लाल तोसों !!
मैंने न कुछ किया तुने अपना लिया !
लिया न मेरा कुछ अपना सब दे दिया !!
न थी पहचान मेरी तुने पहचान लिया !
फर्श पे रहता था मैं अर्श है मुझको दिया !!
तुम हो अकारन करुणा कारन भक्त कहे जो मोसों !!
मेरी यारी है बिहारी लाल तोसों !!
तोसों--यारी है बिहारी लाल तोसों !!
दीनदयालु तुम हो गैया चरैया !
भक्तों के प्राण प्यारे रास रचैया !!
डूबे जनों के तुम्ही हो खिवैया !
मेरे तो केवल तुम हो कृष्ण कन्हैया !!
राधे-राधे गाऊँ प्यारे लगन लगी है "स्वीटी" कही जब मोसों !!
मेरी यारी है बिहारी लाल तोसों !!
तोसों--यारी है बिहारी लाल तोसों !!
ये"स्वीटी"गीत है बन्धु मेरे-श्यामा नाम श्याम रस हेतु सदा !
प्रियतम की प्रीति प्रिया के हित-सन्देश प्रेम रंग इसमें भरा !!
प्रियतम की प्रीति प्रिया के हित-सन्देश प्रेम रंग इसमें भरा !!
स्वीटी लगन कहै अपनी
सुनो साधु-भक्त गोपाल लाल !
रसिक सुधा रसराज केलि
गुणगान करूँ वन गुंजमाल !!
तुम्हरे चरणन की बलिहारी
प्यारे श्यामा-श्याम वनबारी !
मैं जाऊँ रज में लोट-पोट
जहाँ चरण धरें मेरे वनमाली !!
पीताम्बर अरु नीलाम्बर छवि
मेरे प्राण वसी यह हरियाली !
मैं करूँ भ्रमण करूँ तोहि श्रवण
कहि स्वीटी राधिका मैं आली !!
वृन्दावन से पावन-पुनीत वन
वास करूँ धरि ह्रदय श्याम !
राधे-राधे गाऊँ-ध्याऊँ
लिखूँ प्रेम काव्य श्रीजी के नाम !!
श्रीजी मोहि आज्ञा दीन्ही
प्रगटन कूँ निज चरित सुधा !
रूप माधुरी-प्रेम माधुरी
माधुरी केलि अरु भक्ति कृपा !!
मेरे नीलमणि मेरे श्यामसुंदर
करूँ शुभारम्भ कहिके राधे !
करि दीजो एक संकेत प्यारे
मुरली की मधुर ध्वनि मोहि सुना !!
मैं शरण तिहारी सब भक्तन
देहु मोहि अशीष अरु कीजै कृपा !
मेरी मति अति रंक अल्पज्ञ महा
श्रीजी-लाल के चरित अपार महा !!
तउ बिन बाधा बिन संकट के
हो जाएँ सुगम मोहि रहें यथा !
जग मैं पायें ये श्याम प्रीत
हो जाएँ अमर ये श्रीजी गीत !!
मूक सदृश करिके कृपा
वाचाल मोहि करि दीजो प्रभु !
करिके पंगु जैसी महत-कृपा
पर्वत पे चढ़ा मोहि दीजो प्रभु !!
करि अपनो मोहि श्याम प्यारे
रंग अपने रंग मोहि दीजो प्रभु !
हे भक्त-वत्सल यसुमति नंदन
स्वीटी राधिका कूँ अपनैयो प्रभु !!
हे श्यामसुंदर के प्यारे परिकर
सदा सानुकूल रहकर मो पर !
मेरी मति-गति श्याम रंग रंगियों
मेरी नस-नस श्याम सुधा रचियों !!
श्रीजी पद-पंकज ध्यायिके - वसि वृन्दावन धाम !
श्यामसुन्दर के आसरे - रचूँ प्रिया चरित गुणगान !!
सब सखियन पाहीं परूँ - कहूँ रसिकन प्रीत की रीत !
श्री राधिका चरणारविन्द में - मेरो श्याम सुनावै गीत !!
-"स्वीटी राधिका"निभती है-प्राणों के प्राण यसुमति सुत से-
कुञ्ज बिहारी लाल रे तेरी मेरी छनेगी !
तू बाँको तेरी बड़ी ठकुराई मैंने हु सीखी तोसे कछु लरिकाई !
आजा देख नन्द के लाला मेरी तेरी खूब बनेगी !!
कुञ्ज बिहारी लाल रे तेरी मेरी छनेगी !!
रोज प्रात हम संग यमुना तट जाकर खेल करेंगे न्यारे !
ग्वाल-वाल के टोला लेके माखन चोरी करेंगे प्यारे !
तू मोहि सुझा मैं तोकूँ बताऊँ कैसे-कैसे धूम मचेगी !!
कुञ्ज बिहारी लाल रे तेरी मेरी छनेगी !!
रंग भर-भर पिचकारी चलायें !
गोपी-ग्वाल सब रंग बर्षायें !
रंग रंगीले यार ओ होरी कैसी जमेगी !!
कुञ्ज बिहारी लाल रे तेरी मेरी छनेगी !!
मटकी-गागर सब पे निशाना !
सब हैं अपने कोई न बेगाना !
तेरा मेरा नाम एकसा काम में भी अब पूरी निभेगी !!
कुञ्ज बिहारी लाल रे तेरी मेरी छनेगी !!
"स्वीटी"तू भी "स्वीटी"मैं भी !
श्री राधिका तेरी स्वामिनी मेरी !
राधे-राधे प्रचार रे देख कैसी छपेगी !!
कुज बिहारी लाल रे तेरी मेरी छनेगी !!
सब ब्रज मंडल हम घूमेंगे !
पाद न इसके बाहर तनिक रखेंगे !
एक प्रतिज्ञा तेरी मेरी मिलके साथ अच्छी निभेगी !!
कुञ्ज बिहारी लाल रे तेरी मेरी छनेगी !!
जो तेरे हैं प्यारे वो मेरे हैं !
श्रीजी नाम ते सब नाते हैं !
आजा मानजा दाऊजी के भैया !
श्री राधिका वल्लभ कृष्ण कन्हैया !
नटखट यसुमति लाल रे तेरी मेरी खिलेगी !!
कुञ्ज बिहारी लाल रे तेरी मेरी छनेगी !!
जब से किया हैं प्रभु आपका दीदार
ReplyDeleteहम तो दीवाने हुए
रूप तेरा ऐसा सहा भी ना जाये
कसे कुछ कहू कहा भी ना जाये
आ में लू तेरी नज़रें उतार
हम तो दीवाने हुए
द्वार तेरा ऐसा के जैसे हो ज़न्नत
इस पे लुटा दू में दुनिया की दौलत
तन और मन करूँ तुझ पर निसार
हम तो दीवाने हुए
याद तेरी आये तडपता हैं ये मन
उड़ के चली आऊं पाऊ तेरा दर्शन
पंख लगा दो मुझे भी दो चार
हम तो दीवाने हुए
जय श्री राधे !
ReplyDeleteसुवा चलि ता बन को रस पीजै !
जा बन कृष्ण-नाम अमृत-रस स्रवन-पात्र भरी लीजे !!
ब्रन्दाबन को रस ही न्यारो चलि तोकौं दिखराऊँ !
सूरदास रसिकन की संगती बड़े भाग जो पाऊँ !!
जय श्री राधे
जय श्री राधे !
गौर श्याम मेरे लोचन गहनौं !
इनकौं गाऊँ इन्ही रिझाऊँ इन बिनु मुहि आवे न कछु कहनौं !!
यह बिधु बदन उदित रहै निसदिन सादर पलक बिसरि कै चहनौं !
वृन्दावन हित रूप बलि गयी अष्ट प्रहर सुख इन सौं लहनौं !!
जय श्री राधे !
जय श्री राधे !
भीजत कुंजन में दोउ आवत !
ज्यों ज्यों बूँद परत चुनरी पै त्यों त्यों हरि उर लावत !!
अति गंभीर झीने मेघन की द्रुम तर तर छिन बिरमावत !
जय श्रीभट्ट रसिक रस लम्पट हिलमिल हिय सचु पावत !!
जय श्री राधे !